इरफ़ान खान ने ऐसे वक्त पर छोड़ा इंडियन सिनेमा का साथ जब..
इरफान खान (Irrfan khan) ने ऐसे वक्त पर इंडियन सिनेमा का साथ छोड़ा है, जब इस नए दौर की बनी ठनी फिल्मों की जगह नए दौर की रियलिस्टिक फ़िल्में (realistic films ) ले रही हैं.
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Pic courtesy: twitter |
पान सिंंह तोमर (paan singh tomar) हो या फिर लंच बॉक्स (lunch box) और हिंदी, अंग्रेजी मीडियम इस तरह की फिल्मों की कल्पना इरफ़ान खान के किरदारों के बिना करना बहुत मुश्किल है. इरफ़ान प्रकृति के नज़दीक रहना पसंद करते थे इसलिए मुंबई की बनावटी ज़िंदगी से दूर अपना घर लिया, प्रकृति से प्यार ही था जो उनकी एक्टिंग में दिखता था. उनकी नेचरल एक्टिंग बेजोड़ रही है, भारतीय सिनेमा इस क्षति की पूर्ति अब नहीं कर पायेगा क्योंकि इस तरह के अभिनेता बनाने वाली फैक्ट्री बर्बाद हो चुकीं हैं और वैसे भी उन्हें (#irrfankahn) बनाने वाले और चमकीली दुनिया में ये मुकाम दिलाने वाले भी वे खुद ही थे.
इरफ़ान ने कुछ दिनों पहले इशारा किया था अपने स्वास्थ्य को लेकर, बावजूद इसके इरफान खान (irrfan khan) जब हॉस्पिटल में एडमिट थे तब उनके फैंस और मेरी एक मित्र बेफिक्र थीं कि ये इंसान अस्पताल से जल्द ही चंगा होकर वापस लौटेगा क्योंकि ये बहुत बड़ा फाइटर है, वाकई इरफान ने ये मुकाम अपनी एक्टिंग के दम पर ही पाया है, जब तक बॉलीवुड में रहे उनके हेटर्स के बारे में कभी नहीं सुना गया, हां लेकिन चाहने वालों की फेहरिस्त जरूर बहुत लंबी है और आज वे सब बेहद दुखी हैं, जिन्होंने इरफ़ान सिर्फ परदे पर देखा वो लोग उनकी आँखों की गहराई और ख़ामोशी से बहुत कुछ बयां करने वाले चेहरे के भाव (face expression) और जिन्होंने उनके साथ जरा सा भी टाइम बिताया होगा तो वे लोग आज उनके व्यक्तित्व को जरूर याद कर रहे हैं. कुछ तो होगा (irrfan khan) इरफ़ान में ऐसा जो ऊपर वाले ने उन्हें रमजान के पवित्र माह में इस दुनिया से रुख़्सत किया है.
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