अमोलक है आपकी विरह की परिभाषा, प्रेम का अर्थ
जिस इंसान ने कृष्ण भजन के द्वारा अपने सादगी भरे जीवन को भगवान श्री कृष्ण के लिए न्यौछाबर कर दिया, वह इंसान जिसने आदमी के मन में पहुंचकर, दिल में उतर कर, उसे अपना खुद दिखा दिया, उनका गोलोक गमन हो चुका है।
मेरे लिए सबसे बड़ी दुख की बात यह है कि आज यह बात मुझे पता चली कि 6 नवंबर 2018 को उनका स्वर्गवास हुआ।
अपने भजनों के द्वारा लोगों को उनके अंतर्मन तक ले जाने वाला, इंसान को उसके अंदर बैठे भगवान की याद दिलाने वाला विनोद अग्रवाल अब हमारे बीच नहीं रहा।
उनके भजन लगातार सुनते आया हूं और उनके निधन के बाद भी सुनता रहा, लेकिन मुझे ज़रा भी एहसास नहीं हुआ कि वह अब इस दुनिया में नहीं है। अध्यात्म की एक प्रमुख कड़ी प्रेम है और उस कड़ी को पकड़कर विनोद अग्रवाल ने जीवनभर सिर्फ कृष्ण भजन को, गोपियों के विरह को कृष्ण भक्त के बीच कृष्ण के प्रेम को जिंदा रखा।
यह सौभाग्य की बात है कि उनके भजनों की रिकॉर्डिंग्स हमारे पास हैं हम उसे कभी भी सुन सकते हैं, लेकिन उस पवित्र व्यक्तित्व को कभी वापस नहीं ला सकते।
मेरा एक सपना था कि मैं उन्हें एक बार अपने कस्बे गुलाबगंज में लाऊं और उनके भजनों का कार्यक्रम यहां पर रखूं, लेकिन यह संभव नहीं हो पाया।
कहीं ना कहीं मेरे जैसे कई और लोग भी हैं, जिनके सपने टूटे हैं। अग्रवाल जी के जाने से प्रेम रस, वात्सल्य, भक्ति का एक दौर खत्म हुआ है। वे अमर रहेंगे क्योंकि उन्होंने अपना जीवन कृष्ण भक्ति के द्वारा सफल बनाया है, जैसे मीरा ने कृष्ण को प्रेम किया ठीक वैसे ही विनोद ने भी किया।
रसिक चाहे कहीं के भी हो वृंदावन के बरसाने के या फिर देश के किसी भी कोने के वह सब आपको हमेशा याद करेंगे, आपने जो दिया वह शायद कोई नहीं दे पाता ना दे पाएगा.
आप हर अध्यात्म प्रेमी, कीर्तन प्रेमी, कृष्ण प्रेमी, विरह प्रेमी और हर एक इंसान के लिए जो प्रेम को समझते हैं, के लिए मीरा की अमोलक भक्ति और प्रेम के जैसे हैं, आप जहां भी रहे अपने छंद, शेर और भजन के द्वारा यूं ही कृष्ण भक्ति की गंगा बहाते रहें।
आप मेरे लिए एक एहसाह की तरह थे और जीवनभर रहेंगे, आपने जो मुझे दिया है उसका कोई मोल नहीं है जो मैं चुका सकूँ, जीवनभर कर्जदार रहूँगा जैसे कि आप भगवान श्री कृष्णा के रहे।
आपकी कमी का एहसाह हमेशा होता रहेगा।
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